भारत से हंगरी पहुंचे युवा वॉलेंटियर्स यहां करीब 10 अलग-अलग स्थानों पर भारतीय छात्रों की मदद के लिए दिन-रात जुटे हुए हैं। हंगरी स्थित भारतीय दूतावास की सोशल मीडिया प्रोफाइल पर वॉलेंटियर्स की आवश्यकता की सूचना सुमित को जैसे ही मिली, सुमित जयपुर से निकल पड़े हंगरी के लिए। यहां 2 मार्च को पहुंचे और जरूरतमंद भारतीयों की मदद के लिए भोजन, बिस्तर, कंबल जैसी जरूरतों को पूरा करने में जुट गए। यहां सुमित और उनके मित्र पल्लव एक कार के जरिए जगह-जगह छात्रों के लिए खाना पहुंचाने में अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं। इधर सुमित के साथ राजस्थान के ही झुंझनूं से ताल्लुक रखने वाले कैलाश और उनकी पत्नी भी रोज 50 से ज्यादा लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था अपने घर से ही कर रहे हैं।
विधायक डॉट कॉम की हंगरी में मौजूद सुमित भगासरा से बातचीत हुई, जिसमें सुमित ने बताया कि स्थानीय भारतीय निवासी हंगरी के बीएसएच क्लब से जुड़े हैं। इस क्लब से जुड़े सभी भारतीय फिलहाल ज्यादा से ज्यादा समय निकाल कर एकजुट होकर भारतीय छात्रों की मदद में जुटे हुए हैं। स्थानीय Zahony कस्बा यूक्रेन के बॉर्डर पर स्थित है, जहां से भारतीय छात्र-छात्राएं व युद्ध से विस्थापित अन्य लोग हंगरी की सीमा में प्रवेश कर रहे हैं। सुमित और कैलाश ही नहीं उनके साथ भारतीय मूल के अजय सोनी भी बड़े मददगार बनकर उभरे हैं। सोनी मूलत: जयपुर के रहने वाले हैं और हंगरी में बतौर बैंकर सेवाएं दे रहे हैं और फिलहाल वॉलेंटियरर्स को हेड कर रहे हैं। अजय सोनी ने स्थानीय मेयर के साथ मिलकर बड़ा राहत शिविर भी यहां लगाया है। यूक्रेन से बॉर्डर पार करके आने वाले छात्रों को यहां कुछ समय के लिए रोका जाता है, भोजन और दूसरी जरूरी चीजें मुहैया करवाकर सुमित और उनकी वॉलेंटियर्स साथियों की टीम फ्लाइट अरेंजमेंट करती है।
सुमित ने जानकारी देते हुए बताया कि वह छात्रों के परिजनों के भी लगातार संपर्क में हैं और यूक्रेन से निकलने में छात्रों की हर संभव मदद में जुटे हुए हैं। सुमित के मुताबिक, यूक्रेन में इन छात्र-छात्राओं को कोई मदद नहीं मिली और कई तरह की कठिनाईयों का सामना करते हुए छात्र यहां तक पहुंच रहे हैं। गौरतलब है कि हंगरी सरकार ने अपने टर्मिनल 1 को विशेष रूप से भारतीय छात्रों को वतन वापसी के लिए विशेष रूप से समर्पित कर दिया है। वहीं बूडापेस्ट के होटल डेनीबस में चल रहे कंट्रोल रूम के अनुसार 6 मार्च तक करीब 4000 भारतीय छात्र-छात्राएं भारत के लिए उड़ान भर चुके हैं। फिलहाल पलायन अभी भी जारी है और सुमित, कैलाश और अजय सोनी जैसे भारतीय अपने देश का नाम विदेशों में भी रौशन करने में जुटे हुए हैं।
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