पायलट का पॉलिटिकल पंगा, गहलोत पर भारी पडऩे लगा आईसोलेशन



दिल्ली। सत्ता के गलियारों में कुछ भी स्थाई नहीं है। न दोस्ती, न दुश्मनी। नेताओं के बीच कुछ है, तो आपसी भरोसा। एक दूसरे का साथ निभाने की जिद और जद्दोजहद। इसी की मिसाल इन दिनों में राजस्थान की राजनीति में अच्छे से देख रहे हैं। गहलोत खेमा अपने अनुभव और सालों के भरोसे से नेताओं को साथ जोड़े रखने में कामयाब हो रहा है, तो पायलट खेमा युवा जोश, नई राहों की उम्मीदें और ऊंचाईयों को छूने की जज्बातों से भरपूर अपनी राजनीतिक लड़ाई जारी रखे हुए है। दोनों ही खेमे मजबूत हैं। गहलोत के साथ भी विधायक मजबूती से खड़े हैं, तो पायलट के विधायक और युवा नेता अपने लीडर के प्रति बेहद वफादारी से गहलोत के अनुभव को पटकनी देने की तैयारी कर रहे हैं।

इन्ही तैयारियों के बीच चाकसू विधायक वेद प्रकाश सोलंकी की मुलाकात पूर्व केन्द्रीय मंत्री और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के महासचिव मुकुल वासनिक से हुई। सोलंकी के मुताबिक यह मुलाकात राजनीतिक चर्चा और फीडबैक फॉर्मेट के साथ थी। इधर बीते दिनों शाहपुरा के मनीष यादव समेत कई युवाओं को दिल्ली डेरा डालने और आलाकमान से मिले बगैर वापस नहीं लौटने के चर्चों ने जोर पकड़ा। उधर भरतपुर में विधायक विश्वेन्द्र सिंह और उनके बेटे अनिरुद्ध के बीच गहलोत और पायलट जैसी तकरार हो गई। वजह भी गहलोत और पायलट ही हैं। बेटे का भरोसा पायलट पर, तो पिता का भरोसा गहलोत की ओर डोल गया। इसी बात ने ऐसा बवाल मचा दिया कि भरतपुर से जयपुर और जयपुर से दिल्ली तक विश्वेन्द्र सिंह और अनिरुद्ध के वैचारिक मतभेदों की जमकर चचाएं हुई। बेेटे की बाप से बगावत और उसकी वजह गहलोत-पायलट विचारणीय है।

ऐसे में देखने वाली बात यह है कि गहलोत ने कोरोना के नाम पर अगले दो महीने के लिए खुद को आईसोलेट करने का पॉलिटिकल बहाना निकाल लिया है। लेकिन अब इसी बहाने ने गहलोत को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया है। ऐसा करते हुए गहलोत ने खुद पायलट को दो महीने दे दिए हैं जिसमें पायलट और उनकी टीम ताबड़तोड़ फीडबैक और मुलाकातों के जरिए गहलोत का खेल खराब करने में जुट गए हैं। हालांकि पायलट खेमे की अपनी वाजिब मांगे हैं, अपनी मजबूत लड़ाई है और उसे लडऩे के लिए पर्याप्त क्षमतावान और ऊर्जावान लीडर्स भी राजस्थान से उन्हें मिल गए हैं। देखना यह है कि दिल्ली तक एक के बाद एक करके पहुंच रहे विधायक और नेता गहलोत के कौन से ऐसे फीडबैक सबमिट करने वाले हैं, जिससे गहलोत का आईसोलेन पूरा होते-होते राजस्थान में पॉलिटिंकल पंगा खुले तौर पर सामने आ जाएगा। पायलट गुट गहलोत खेमे को अब ऊपर देखने के मूड में नहीं लग रहा। वहीं, गहलोत गुट पायलट को ऊपर आने देने का कोई रास्ता नहीं छोड़ रहा। बहरहाल दिल्ली से कौन दबाव बनाने में कामयाब होगा, इस पर नजरें सबकी रहेंगी।

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