दिल्ली। कांग्रेस ही नहीं, राजस्थान की भाजपा में भी भीतर ही भीतर कोहराम मचा है। सतीश पूनिया भले ही भाजपा अध्यक्ष हैं, लेकिन वसुंधरा राजे खेमा और दूसरे कई वरिष्ठ नेता पूनिया की नाक में दम करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। ऐसे में पूनिया राजस्थान संभालें, दिल्ली दौड़-दौड़ कर सफाई देते फिरें या कार्यकर्ताओं को संतुष्ट करते हुए मजबूत टीम बनाएं? इसी कश्मकश में पूनिया को पार्टी के नेताओं ने दौड़ा-दौड़ा कर काम पर लगा दिया है।
हाल ही पूनिया के दो दशक पुराने पत्रों के सार्वजनिक होने और पार्टी के नेताओं पर आरोपों वाले इन पत्रों का राजनीतिक बम फूटने के बाद पूनिया आज दिल्ली में जनर आए। पूनिया ने आज यहां केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल, पीपी चौधरी से मुलाकात की, तो वहीं भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री भूपेन्द्र यादव से मिलकर भी पूरे मामले पर सफाई दी। हालांकि पूनिया इन मंत्रणाओं को लेकर केवल औपचारिक ही बने हुए हैं, लेकिन इनके जरिए यह जाहिर करने का प्रयास किया जा रहा है कि दिल्ली तक जरूरी फीडबैक दे दिए गए हैं।
इधर राजस्थान में पूनिया समर्थित थड़े में एक वर्ग का यह भी मानना है कि पूनिया की मुश्किलें फिलहाल कम नहीं होंगी। अंदरखाने भाजपा में कई दावेदार हो गए हैं, जो पार्टी में खुद को सर्वश्रेष्ठ साबित करने पर तुले हुए हैं। इस खेमे का यह भी मानना है कि पूनिया बेहतर काम कर रहे हैं, इसलिए इन बड़े नेताओं की आंख की किरकिरी बनते जा रहे हैं। बड़े नेता अंदरखाने लामबंद होकर पूनिया को निपटाने पर तुले हुए हैं और पूनिया अपनी मेहनत और संगठन की मजबूती से टिके हुए हैं।
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