क्या पायलट की उड़ान, गहलोत को डराने लगी है?

जोधपुर/जयपुर। सचिन के विरोध और राजस्थान में कांग्रेसी विधायकों की बाड़ेबंदी को अभी ज्यादा समय नहीं गुजरा है। लेकिन राजनीतिक रूप से बीते 20 सालों में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को इतना असहज और अस्थिरता के भाव में पहले कभी नहीं देखा गया। बतौर मुख्यमंत्री अपने तीसरे कार्यकाल में गहलोत हमेशा की तुलना में ज्यादा चिंतित नजर आते रहे हैं। तमाम पक्ष और राजनीतिक वजह हो सकती हैं, लेकिन सचिन पायलट की बढ़ती प्रसिद्धि ने गहलोत की नाक में दम कर दिया है। 

बाड़ेबंदी के दौरान एक ओर जहां गहलोत सचिन पायलट को अपरिपक्व और गद्दार नेता साबित करने के लिए पूरा जोर लगा चुके थे, वहीं सचिन की वापसी ने बाजी पलट कर रख दी। हालांकि गहलोत की जादूगरी चली और अल्प समय के लिए उन्होंने सरकार की स्थिरता और चिंतामुक्त माहौल का प्रदर्शन करने में कामयाबी हासिल कर ली, लेकिन अब भी गहलोत की चिंता बिलकुल कम नहीं हुई है। बाड़ेबंदी की घटना के बाद जहां गहलोत खेमे के विधायक अपने-अपने इलाकों में जाकर निश्चिंत होते नजर आए, वहीं सचिन खेमे में नई तरह की बेचैनी देखी जा रही है। सचिन खेमे के विधायकों ने उस घटना के बाद पूरा जोर लगा दिया है जनता को साथ लेने के लिए। जहां गहलोत खेमे के मंत्रियों और करीब दर्जनभर दूसरे नेताओं को छोड़ दें, तो बाकी पूरी निश्चिंतता के साथ कोरोनाकाल को जी रहे हैं। लेकिन पायलट खेमे के विधायक एक के बाद एक अपने विधानसभा क्षेत्रों में मेल-मुलाकातों पर जोर लगा रहे हैं। हालांकि जनता का काम हो न हो, लेकिन पायलट खेमे के पास इस बात का बैकअप आ गया है कि गहलोत विरोधी गुट में होने की वजह से उनके काम नहीं हो रहे हैं। इस पक्ष से जनता को साथ लेने और उनकी रूटीन मांगों को लेकर नेताओं को ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ रही। वहीं दूसरी ओर गहलोत समर्थक विधायकों को टिकाए रखने के लिए दिए लुभावने वायदों को पूरा करने का प्रेशर, सरकार के पाले में होने पर काम, तबादले आदि का प्रेशर परेशान करने लगा है। 

बाड़ेबंदी की घटना के बाद पायलट को लगातार लाभ मिल रहा है। जनता पहले से ज्यादा पायलट के लिए जुट रही है, वहीं पायलट समर्थक नेता भी पायलट जहां-जहां जाते हैं, पूरी प्लानिंग के साथ उनकी रैलियों, मुलाकातों को प्रॉपर मैनेज कर रहे हैं। भीड़ कहीं से भी जुटती है, लेकिन भीड़ में दम नजर आता है, तो पायलट विरोधी खेमे की सांस फूल रही है। आज भी पायलट जोधपुर पहुंचे, तो हजारों की संख्या में गाडिय़ों और हजारों की संख्या में स्वागत के लिए इंतजार करती जनता ने फिर गहलोत खेमे में हलचल मचा दी है। क्योंकि फिलहाल न कोई बड़ा चुनाव है और न ही सत्ता में आने-जाने की संभावनाओं पर इन रैलियों का कोई असर पड़ रहा, लेकिन सचिन अपनी मुहिम में कामयाब होते नजर आ रहे हैं। बहरहाल देखना यह होगा कि सचिन की लगातार बढ़ती प्रसिद्धि गहलोत और गहलोत खेमे के लिए कितना तनाव का कारण बनती है, क्योंकि अपने पाले के विधायकों को साथ लेकर संतुष्ट करने का दबाव इस समय गहलोत पर ज्यादा है। वहीं सचिन खेमे के दो नेताओं का मंत्रीपद जा चुका है, इसलिए इस खेमे के पास खोने के लिए कुछ नहीं है और पाने के लिए बड़ी संभावनाएं बन रही है। 

ऐसे में दिल्ली पहुंच रहे फीडबैक भी गहलोत को दबाव में ला सकते हैं। क्योंकि बाड़ेबदी के दौरान गहलोत ने सचिन के खिलाफ बयानबाजी की थी, जबकि सचिन ने चुप्पी को हथियार बनाकर अब मैदान में मोर्चा खोल दिया है। अब देखना यह भी दिलचस्प होगा किया सियासत के इस खेल में दो फाड़ कांग्रेस में अगला हंगामा कब होने जा रहा है। 

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