जयपुर। राजस्थान सरकार की बाड़ेबंदी के ऐतिहासिक घटनाक्रम के बाद गहलोत और पायलट में सुलह करवाई गई। पार्टी आलाकमान ने दखल देकर मामला ठण्डा करने और ऊपर से सब ठीक-ठाक नजर आने जैसा बिठा दिया। लेकिन अब भी अंदरखाने घमासान मचा हुआ है। गहलोत खेमा बीते महीनेभर से चुन-चुन कर पायलट समर्थकों को टटोल रहा है। पायलट की तरफदारी करने वालों की राठौड़ी पड़ताल करवाई जा रही है। जानकारियां जुटाई जा रही हैं कि कौन-कौन प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से पायलट खेमे को सपोर्ट कर रहा है। इस लपेटे में पत्रकारों को भी लिया जाने लगा है।
इस अंदरखाने मचे घमासान को लेकर भले ही पत्रकार कुछ बोल नहीं रहे हैं। कुछ मैनेज्ड हैं। लेकिन हाल ही में जयपुर के विधायकपुरी थाने में दर्ज हुई एफआईआर की सूचना बाहर आते ही फिर हड़कम्प मच गया है। इस एफआईआर में पायलट के मीडिया सलाहकार लोकेन्द्र सिंह और पत्रकार शरत कुमार को नामजद किया गया है। जानकारी के मुताबिक पुलिस आयुक्तालय के साइबर थानाधिकारी ने यह एफआईआर दर्ज करवाई है। जिसकी जांच अब पुलिस निरीक्षक ओमप्रकाश मातवा कर रहे हैं। दरअसल अगस्त में विधायकों की जैसलमेर में बाड़ेबंदी के दौरान फोन टैपिंग की खबरें आई थी, जिनका सरकार ने खंडन भी किया था।
बहरहाल सूत्रों से पता चला है कि गहलोत खेमे की तरफ से पत्रकारों और पॉलिटिकल लॉबिस्ट के पीछे कुछ लोगों को सक्रिय किया गया है, जो पायलट खेमे को टारगेट करते हुए जानकारियां जुटा रहे हैं। कुल मिलाकर आलाकमान ने मामला ठंडा करने के पुरजोर प्रयास किए थे, लेकिन मामला ठंडा होने के बजाय भीतर ही भीतर ज्यादा सुलगने लगा है। भीतर ही भीतर लोग टारगेट किए जाने लगे हैं। जिसका संभवतया नतीजा किसी भारी राजीतिक उठापटक के रूप में आने वाले विधानसभा चुनावों से पहले देखने को मिल सकता है।
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