सरहदी बाड़ेबंदी की रड़क में गहलोत खेमे ने पायलट को दिखाई सरहद



जयपुर। राजस्थान की राजनीति के महासंग्राम में आज 35वें दिन ऊपर से देखने पर सब ठीक-ठाक नजर आ रहा है। सदन में कांग्रेस सरकार अपनी स्थिरता और बहुमत साबित कर देगी। बीजेपी अपने ही द्वंद और अंतर्कलह का शिकार हो कर निशब्द है। लेकिन जितना सब कुछ आसान और सरल नजर आ रहा है उतना अब सुखद कुछ बचा नहीं है।

एक ओर जहां राजस्थान में कोरोना के मरीजों की संख्या में हर रोज इजाफा होता जा रहा है और मरने वालों की तादाद भी बढ़ रही है। वहीं राजनीतिक संकट में महीनेभर से जूझ रही कांग्रेस न कोरोना की सुध ले पाई, न दूसरे जरूरी मुद्दों की। आज जब विधानसभा में सभी नेता पहुंचे, तो उम्मीद की जा रही थी, कि अब सब ठीक हो गया होगा। लेकिन जनता के यह कयास उस समय काफूर हो गए, जब विधानसभा में सचिन पायलट ने बोलना शुरू किया। पायलट ने अपने छोटे से संबोधन में विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को संबोधित करते हुए अपना दर्द भी बयां किया और अपनी ताकत भी दिखाने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि मेरी यह पीछे की सीट सरहद है और सरहद पर मजबूत सिपाही को भेजा जाता है।

गौरतलब है कि आज विधानसभा में पहुंचते ही सचिन को उस वक्त झटका लगा, जब उन्हें पहली पंक्ति की बजाय निर्दलीय विधायक संयम लोढा के बगल में जगह दी गई। यह माना जा रहा था कि बीते दिनों जैसलमेर में विधायक दल की बैठक में सचिन पायलट खेमे के खिलाफ आलाकमान की ओर से कड़ी कार्रवाई की मांग उठी थी, तभी से गहलोत समर्थकों ने सचिन की वापसी के अंदेशे को निशाने पर ले लिया था। गहलोत खेमा सचिन की वापसी को किसी भी कीमत पर स्वीकार करने को तैयार नहीं था, लेकिन मजबूरी और आलाकमान के निर्देशों के आगे सब पस्त हो गए। लेकिन सचिन के आज के संबोधन से एक बात साफ हो गई है कि राजनीतिक रिश्तों में बड़ी दरारें पड़ चुकी हैं, जिन्हें न राजस्थान में कोई भर पाएगा न दिल्ली में बैठे आलाकमान भर पाएंगे। सचिन पायलट और गहलोत दो घुर विरोधी गुट कांग्रेस में बन चुके हैं, जो अब हर कदम-कदम पर एक दूसरे की काट करते नजर आएंगे। अब अगले करीब तीन साल जनता के काम करने से ज्यादा नेताओं की रुचि नंबर बनाने, काट करने, ऊंचा और नीचा दिखाने की होड़ में तब्दील नजर आएगी। कह सकते हैं कि जैसलमेर की सरहदी बाड़ेबंदी से लौटकर गहलोत खेमे ने सचिन को विधानसभा में सरहद दिखा दी है। लेकिन सचिन इसे अपमान समझ कर घंूट पीएंगे, या इसे सरहदी रड़क को फील्ड में अपने काम से फंट सीट तक पहुंचाने में कामयाब होंगे, यह देखने वाली बात होगी। लेकिन यह सब आने वाले समय में कांगे्रस के भीतर ही भीतर एक बड़े विस्फोट का आगाज है। बस देखना यह है कि विस्फोट कब और कितने दिन बाद जनता के सामने आएगा।

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