अब 64 विधायक और बीजेपी ही बचा सकती है सचिन की विधायकी


जयपुर। राजस्थान में हाईवोल्टेज पॉलिटिकल ड्रामा जारी है। सियासी उठापटक के बीच मीडिया हो, पॉलिटिकल पंडित हों, लॉबिस्ट हों या फिर नेता हर कोई नंबर गेम को सेट करने में लगा हुआ है। मीडिया अपने नंबर गेम के आंकलन बता रहा है, वहीं गहलोत और उनकी टीम का अपना दावा है। हालांकि यह भी बताया जा रहा है कि सरकार पूरी तरह सेफ है और अब सचिन और उनके 18 साथियों की विधायकी पर संकट आने वाला है। हाईकोर्ट में सोवमार को याचिका पर बहस होगी और मंगलवार शाम 5 बजे तक किसी भी विधायक को विधानसभा अध्यक्ष की कार्रवाई पर रोक लगा दी गई है।

हालांकि सियासत किसी की सगी नहीं होती। यहां हर समीकरण पलभर में बदल जाते हैं। न कोई दोस्त है और न ही कोई दुश्मन। बस मौका है, जिसके हाथ लगा, वह बाजी मार ले जाता है। ऐसे में अब देखना यह होगा कि कैसे 64 विधायक और बीजेपी ही सचिन की विधायकी बचा सकती है। इस बात की पूरी संभावना है कि सचिन और उनके 18 साथियों पर विधानसभा अध्यक्ष कार्रवाई करेंगे। इन सभी 19 विधायकों की सदस्यता खत्म होने का खतरा मंडरा रहा है। अगर इन पर कार्रवाई हो जाती है, तो विधानसभा में 200 की बजाय कुल सदस्य बचेंगे 181 ही। ऐसे में बहुमत के लिए गहलोत सरकार को केवल 92 विधायका चाहिए होंगे, जो गहलोत के पास हैं। ऐसे में केवल एक विकल्प है, जो सचिन को बचाता है, वह है बीजेपी जॉइन करने का। लेकिन सचिन घोषणा कर चुके हैं कि बीजेपी जॉइन नहीं करेंगे। अब टेक्नीकल चीज देखिए - दल बदल कानून के तहत दो तिहाई बहुमत जब तक सचिन के पास नहीं हो, वह किसी भी दूसरी पार्टी को जॉइन नहीं कर सकते। यानी 64 विधायक विधायकी बचाने और दूसरी पार्टी में शामिल होने के लिए सचिन को चाहिएं। जो सचिन के पास किसी भी स्थिति में हैं नहीं।

यहां सवाल यह उठता है कि बिना दल बदले सचिन और उनके 18 साथियों की विधासनभा से सदस्यता जाने का खतरा कैसे है? दरअसल कानून के तहत बिना किसी दूसरे दल को जॉइन किए भी सरकार विरोधी गतिविधियों में लिप्त पाए जाने पर विधायक की सदस्यता खत्म की जा सकती है। बस सबूतों का आधार होना चाहिए, जो गहलोत सरकार इकट्ठा करती जा रही है। यानी एसओजी की एफआईआर, लीक हुए ऑडियो आदि सबूत बन सकते हैं। लेकिन फिलहाल नंबर गेम चालू है। हाईकोर्ट में याचिका पर क्या बहस और फैसला आता है यह देखने वाला होगा और इसी के आधार पर आगे की रणनीतियां बनेंगी, लेकिन सचिन की पैरवी कर रहे मुकुल रोहतगी और हरीश साल्वे के सामने विधायकी छीनना भी आसान नहीं होगा।
Share on Google Plus

0 comments:

Post a Comment